Monday, November 7, 2016

एक बालक की पुकार

आजा तारे -चाँद सितारे ,
आजा मेरे घर पर ।
मेरे घर को तू चमकादे ,
अंधियारा तू दूर भगा दे ।
अच्छा नहीं लगता अंधियारा ,
 तू हीं लगता है मुझे प्यारा ।
आजा तारे - चाँद सितारे ,
आजा मेरे घर पर ।
तेरे बिना ना पढ़ सकता मैं  ,
तेरे बिना ना रह सकता मैं ।
कैसे मैं तुझे मनाऊँ ,
कैसे कर मैं तुझे समझाऊँ ।
मैं तुमसे बिनती करता हूँ, तुमसे मैं रो कर कहता हूँ ।
हे आकाश के चाँद -सितारे , सुन ले ईश बालक की बाते ,
कर दे तू अँधियारा दूर , कर दे तू अँधियारा दूर ।

----------------------------- मुकेश कुमार चकर्वर्ती (Mukesh Kumar Chakarwarti)

नोट -  घर पर कोई नहीं है रात का समय है एक बालक अकेले घर पर है और डरा हुवा है , अन्धकार के चलते आकाश के चाँद - सितारों को मना रहा है , उनको फुसिला रहा है अपने मीठी बातों से । 

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